मक्के की खेती भारत में किसानों के लिए एक बेहतरीन अवसर बनकर उभर रही है। मक्के का उपयोग सिर्फ खाने के लिए ही नहीं बल्कि इथेनॉल बनाने और पशुपालन के लिए भी किया जाता है, जिससे इसकी मांग काफी ज्यादा है। अगर आप मक्के की खेती करते हैं, तो इससे अच्छी खासी कमाई की जा सकती है। खासकर मक्के की एक नई वेरायटी, HQPM 28, जो 60 से 70 दिनों में ही फसल तैयार कर देती है, किसानों को बंपर मुनाफा दे सकती है।
मक्के की नई वेरायटी
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, करनाल ने एक नई संकर किस्म तैयार की है जिसे HQPM 28 कहा जाता है। यह किस्म खासकर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के लिए बहुत उपयुक्त मानी जा रही है।
HQPM 28 की खासियतें
- यह किस्म अधिक पैदावार देने वाली और उर्वरकों के प्रति संवेदनशील है।
- पौष्टिकता से भरपूर और प्रमुख बीमारियों जैसे पत्ती झुलसा रोग के प्रति प्रतिरोधी है।
- कीटों के खिलाफ मध्यम प्रतिरोध क्षमता (जैसे फॉल आर्मी वर्म) रखती है।
- प्रति एकड़ औसतन 141 क्विंटल मक्का की पैदावार देती है, और इसकी अधिकतम क्षमता 220 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती है।
- बुवाई के बाद सिर्फ 60 से 70 दिन में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
- इस किस्म के हरे चारे में 8.7% प्रोटीन और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं, जो इसे पशुपालन के लिए भी बेहतर बनाते हैं।
- इसमें सामान्य मक्के से दोगुना लाइसिन और ट्रिप्टोफैन होता है, जो जरूरी अमीनो एसिड्स हैं।
मक्के की खेती का सही समय
मक्के की खेती के लिए सही मौसम और समय का चुनाव करना जरूरी है। अलग अलग मौसमों में मक्का बोया जा सकता है:
- खरीफ मौसम: जून से जुलाई के बीच।
- रबी मौसम: अक्टूबर से नवंबर तक।
- जायद मौसम: फरवरी से मार्च तक।
पहाड़ी इलाकों में, जहां तापमान कम रहता है, मक्का मई के आखिर या जून की शुरुआत में बोया जा सकता है। मानसून की पहली बारिश के बाद मक्के की बुवाई करना सबसे अच्छा रहता है, लेकिन अगर सिंचाई के साधन उपलब्ध हों, तो इससे पहले भी बुवाई की जा सकती है।
मक्के की बुवाई और देखभाल
अच्छी पैदावार के लिए इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
- बीज को 3.5 5.0 सेंटीमीटर गहराई में बोएं।
- बुवाई से पहले बीज को किसी फंफूदनाशक दवा से उपचारित करें।
- पौधों के बीच की दूरी बनाए रखें; पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
- प्रति एकड़ 30,000 से 32,000 पौधे रखें।
मक्के की खेती से कमाई
मक्के की खेती करने से किसानों को अच्छी खासी आमदनी हो सकती है। केंद्र सरकार ने मक्के की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2225 प्रति क्विंटल तय की है। इसके अलावा, राज्य सरकारें भी अलग अलग बोनस और कीमतें तय करती हैं।
इथेनॉल और पशुपालन के लिए चारा बनाने वाली कंपनियों के बीच मक्के की भारी मांग रहती है। ये कंपनियां MSP से भी ज्यादा कीमत पर मक्का खरीदती हैं। यदि एक एकड़ में HQPM 28 मक्के की खेती की जाती है और औसतन 200 क्विंटल उत्पादन होता है, तो किसान को ₹4 लाख प्रति एकड़ तक की कमाई हो सकती है।
मक्का एक बहुउपयोगी फसल है, जिसकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है। नई वेरायटी HQPM 28 किसानों के लिए ज्यादा मुनाफा कमाने का बेहतरीन जरिया बन सकती है। अगर आप भी कम समय में अधिक कमाई चाहते हैं, तो मक्के की इस नई किस्म की खेती पर ध्यान जरूर दें।
FAQs
HQPM 28 मक्का की पैदावार कितनी हो सकती है?
HQPM 28 मक्का की औसतन पैदावार 141 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, लेकिन इसकी अधिकतम क्षमता 220 क्विंटल प्रति एकड़ तक जा सकती है।
मक्के की खेती के लिए सही समय क्या है?
मक्के की खेती खरीफ, रबी और जायद मौसमों में की जा सकती है। खरीफ में बुवाई जून-जुलाई, रबी में अक्टूबर-नवंबर, और जायद में फरवरी-मार्च के बीच की जाती है।
मक्के का उपयोग किन-किन चीजों में होता है?
मक्के का उपयोग खाने, इथेनॉल बनाने और पशुपालन में चारे के रूप में किया जाता है। इसके दाने या बीज से रोटी, चपाती, दलिया जैसे व्यंजन भी बनाए जाते हैं।